गोबर के दीयों से जगमग होगी दीपावली, छत्तीसगढ़ में बने इन खास दीयों की देश के साथ विदेश तक डिमांड
छत्तीसगढ़ में गोबर से बने उत्पादों की देश के साथ विदेश से भी डिमांड आई है। दीपावली से पहले कनाडा, इंग्लैड के साथ दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों से गोबर से बने दीयों की डिमांड है। गोबर के फ्लोटिंग दीये की डिमांड सबसे ज्यादा है। यह दीये पूरी तरह इकोफ्रेंडली हैं। दुर्ग जिले से अब तक दो लाख से ज्यादा दीये विभिन्न राज्यों को सप्लाई किए जा चुके हैं।
इको-फ्रेंडली हैं दीये
उड़ान नई दिशा समूह की अध्यक्ष निधि चंद्राकर ने बताया कि दीपावली के चलते गोबर के फ्लोटिंग दीयों की डिमांड है। कार्तिक पूजा और छठ में नदी और सरोवरों में दीये छोड़ने की परंपरा है। गोबर से बने दीये को पानी में छोड़ने पर यह तैरते हैं। इससे सुंदर नजारा दिखता है। यह दीये इको फ्रेंडली हैं। इससे प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचता। यह मिट्टी में मिल जाता है। वहीं पानी में रहने वाले जीव जंतु को भी नुकसान नहीं पहुंचता है। इन दीयों की खास बात यह है कि उपयोग के बाद इसे खाद की तरह इस्तेमाल भी किया जा सकता है। निधि ने बताया कि इस तरह के दीये पूरे देश में कहीं नहीं मिलेंगे। इस बार भी दीयों की सजावट में विशेष रूप से कार्य किया गया है। दुर्ग कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बताया कि दुर्ग जिले में समूहों द्वारा गोबर से दीया और अगरबत्ती का निर्माण किया जा रहा है। इससे स्व सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं। देश और विदेश में दीयों की अच्छी डिमांड आ रही है।
गोबर से बन रही बिजली और खाद
छत्तीसगढ़ में गोबर से बिजली भी बनाई जा रही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने गोबर से बिजली बनाने वाली तीन यूनिटों का शुभारंभ किया है। छत्तीसगढ़ पूरे देश में इकलौता राज्य है, जहां दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदा जा रहा है। यहां गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर किसानों को बेचा भी जा रहा है।
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