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    फेसबुक के नाम और लोगो में बदलाव, क्या इस महिला ने किया मजबूर?


    फेसबुक ने अपने कॉर्पोरेट नाम और लोगो को बदलकर मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक (Meta Platforms Inc.) कर दिया है। फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि अभी हम जो कर रहे हैं, उस लिहाज से मौजूदा ब्रैंड सही नहीं है। यही वजह है कि एक नए ब्रैंड की जरूरत पड़ी। मेटा ब्रैंड के जरिए सबकुछ कवर किया जा सकेगा। हालांकि, फेसबुक के इस ऐतिहासिक बदलाव की टाइमिंग को लेकर कई तरह के सवाल हो रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मार्क जुकरबर्ग, फेसबुक से जुड़े विवादों से पीछा छुड़ाने की जल्दी में हैं।

    क्या है वजह: दरअसल, ये बदलाव ऐसे समय में किया गया है जब फेसबुक की पूर्व कर्मचारी ने कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस पूर्व कर्मचारी का नाम है फ्रांसेस हॉगन। बीते कुछ महीनों में हॉगन ने फेसबुक की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। हॉगन का आरोप है कि सोशल मीडिया कंपनी यानी फेसबुक लाभ कमाने के लिए हेट स्पीच को बढ़ावा देता है। वो हमेशा नफरत फैलाने वाली बातों पर रोक लगाने की बजाय अपने हित और फायदों को प्राथमिकता देता है।

    हॉगन का आरोप है कि फेसबुक कई देशों की राजनीति को प्रभावित कर चुका है। हॉगन का ये भी कहा है कि फेसबुक का एल्गोरिदम महिलाओं और बच्चों के लिए ठीक नहीं है। इससे बच्चों के बिगाड़ा जा रहा है। हॉगन के मुताबकि कंपनी इन सबको काबू कर सकती है लेकिन वह अपने मुनाफे और विस्तार को तवज्जो देना पसंद करती है। 

    कौन है फ्रांसेस हॉगन:  फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस हॉगन व्हिसलब्लोअर भी हैं। वह डेटा एनालिसिस का काम करती हैं। हॉगन ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री और व्यवसाय में हार्वर्ड मास्टर डिग्री ली है। उन्होंने गूगल और Pinterest जैसी कंपनियों में भी काम किया है। 

    जुकरबर्ग का क्या है तर्क: मार्क जुकरबर्ग ने री-ब्रैंडिंग के बारे में कहा कि Meta को एक 'virtual environment' का रूप दे दिया गया है। फेसबुक की इस नई दुनिया Metaverse में लोग वर्चुअल रियलिटी हेडसेट का उपयोग करके मिल सकते हैं, काम कर सकते हैं और खेल सकते हैं। 

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