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    भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल बाद भी नहीं मिला पीड़ितों को इंसाफ, अब शुरू किया “37 वर्ष-37 प्रश्न” अभियान


    1984 की भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal gas tragedy) की 37वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, पीड़ित लोगों के चार संगठनों ने एक अभियान शुरू किया है. “भोपाल आपदा: 37 वर्ष; 37 प्रश्न”, “चल रही आपदा” नाम के इस अभियान के जरिए उन लाखों के लिए न्याय मांगा जाएगा जिन्हें अबतक मुआवजा नहीं मिला और पुनर्वास (Rehabilitation) के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

    भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी (Rashida Bee) ने एक विज्ञप्ति में कहा, अभियान के हिस्से के रूप में, आपदा के बाद बचे हुए लोग मंगलवार से शुरू होने वाले इस अभियान के तहत अगले 37 दिनों के लिए, हर दिन एक प्रश्न पूछेंगे. रशीदा ने कहा कि “जबकि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें 2010 में सहमत हुईं कि अमेरिकी निगमों को अतिरिक्त मुआवजा देना था, लेकिन किसी भी तरफ से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित क्यूरेटिव पिटीशन की तत्काल सुनवाई के लिए एक आवेदन दायर नहीं किया गया है. हम जानना चाहते हैं कि सरकारों ने पिछले 11 वर्षों से याचिका पर सुनवाई नहीं करने का विकल्प क्यों चुना है.

    गैस के रिसाव से मारे गए थे हजारों लोग

    दरअसल राज्य की राजधानी भोपाल के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र से 2-3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव से हजारों लोग मारे गए थे और 5.58 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे. त्रासदी के बचे हुए लोग जहरीले रिसाव से होने वाली बीमारियों के लिए पर्याप्त मुआवजे और उचित चिकित्सा उपचार के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.

    वहीं इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य ने दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस कांड पीड़ितों के उपचार और पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. इन निर्देशों का पालन करवाने के लिए कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे.

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