देश का ऐसा लक्ष्मी मंदिर जो दीपावली पर सजता है नोटों से, भक्तों के चढ़ाए आभूषण से होता है मां का श्रृंगार
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले (ratlam) में एक अनोखा महालक्ष्मी (unique lakshmi temple in ratlam) मंदिर है. जिस लोग कुबेर का खजाना कहते हैं. दरअसल हर साल दीपावली (Diwali) के मौके पर इस मंदिर में मां लक्ष्मी का दरबार गहनों और नोटों से सजाया जाता है. लोग अपने लाखों रुपये, सोने-चांदी के जेवर, सिल्लियां और जेवरात मंदिर में रखते हैं. मान्यता है जो श्रद्धालु दिपावली से पहले जेवर और नकदी यहां भेंट करते हैं, उनका खजाना रातों-रात दुगुनी रफ्तार से बढ़ता है जो श्रद्धालु दीपावली से पहले जेवर और नकदी मंदिर में जमा करा देते हैं. उन्ही श्रद्धालु के जेवरात से दीपावली के पांच दिन तक महालक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है. इसकी प्रसिद्धि कुबेर के खजाना के नाम से है. हालांकि लगातार दूसरे साल भी कोविड के कारण भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा. सभी को बाहर से ही महालक्ष्मी और कुबेर के खजाने के दर्शन करने होंगे
यहां भक्त करते हैं जेवर और नकदी भेंट
ये देश का यह पहला ऐसा मंदिर है जहां श्रद्धालु दीपावली से पहले, जेवर और नकदी भेंट करते हैं. कोई नोटों की गड्डियां भेंट करता है तो कोई सोने और चांदी के आभूषण. मंदिर में जमा हुए इन आभूषणों और नकद राशि से दीपावली के पांच दिन तक महालक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है, जो कुबेर के खजाने के नाम से मशहूर है.
बरसों सालों से चली आ रही है ये परंपरा
रतलाम के इस महालक्ष्मी मंदिर में बरसों से गहने और राशि चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. इस भेंट को बकायदा रजिस्टर में नाम और फोटो के साथ नोट किया जाता है. जिसके बाद इसे दीपावली के पांचवें दिन, भक्तों को प्रसादी के रूप में वापस लौटा दिया जाता है.
50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के नोटों से बनाया गया वंदनवार
हर भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार यहां चढ़ावा चढ़ाता है. कई भक्त तो ऐसे हैं जो यहां चढ़ावे में सोने, चांदी की सिल्लियों सहित नोटों की गड्डियों के ढेर मां लक्ष्मी को चढ़ाते हैं. जो भी यहां के चढ़ावे को देखता है उसकी नजरें ही ठहर जाती हैं. इस बार भी लोगों ने लाखों रूपये की धनराशि, सोने चांदी की सिल्लियां सहित जेवरात मंदिर में चढ़ावे के रूप में रखा है.
धन की देवी के लिए 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के नोटों से खास वंदनवार बनाए गए हैं. इससे पूरे मंदिर को सजाया गया है. नोटों की इन लड़ियों से मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लग गए हैं. श्रद्धालुओं ने दिन रात मेहनत कर इन वन्दनवारों को तैयार किया है.
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