शिवराज सिंह चौहान के मंत्री की फिसली जुबान, कहा- लोगों की आमदनी बढ़ी है तो थोड़ी महंगाई भी सहन करना चाहिए
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री से पूछा गया कि पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों की मार झेल रहे आम आदमी को राहत देने के लिए क्या राज्य सरकार इन पर मूल्य संवर्धित कर (वैट) नहीं घटा सकती? इस पर उन्होंने कहा, ‘‘अब सरकार (नागरिकों को) मुफ्त में हर चीज तो दे नहीं सकती. पेट्रोलियम पदार्थों पर कर वसूली से सरकार को राजस्व मिलता है. इसी राजस्व से विकास और जनहित की सरकारी योजनाएं चलती हैं.’
लोगों की बढ़ी तनख्वाह
सिसौदिया ने कहा, ‘‘आप यह नहीं कह सकते कि आज पेट्रोल-डीजल का भाव वही होना चाहिए जो 10 साल पहले था, भले ही इस अवधि में आपकी तनख्वाह 6,000 रुपये से बढ़कर 50,000 रुपये पर पहुंच गई हो.’’ पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने दावा किया कि गुजरे बरसों में समाज के हर तबके की आमदनी बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘पहले हमारे घरों में केवल एक मोटरसाइकिल होती थी जो पिताजी (घर के मुखिया) के पास रहती थी.आज हमारे घरों में हर व्यक्ति के पास गाड़ी है जिससे पेट्रोल-डीजल की खपत तीव्रता से बढ़ रही है.’
डीएपी की कमी को किया जाएगा दूर
सिसौदिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘क्या देश में कांग्रेस की पिछली सरकारों के कार्यकाल में महंगाई नहीं बढ़ी थी? क्या महंगाई केवल नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में बढ़ी है? हमें स्वीकार करना पड़ेगा कि यह (महंगाई का) एक पहिया है जो लगातार घूमता रहता है.’
राज्य में रबी सत्र के दौरान खाद के संकट पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने दावा किया कि वर्तमान में डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की जरूरत केवल सरसों और धनिया उगाने वाले किसानों को है. उन्होंने हालांकि भरोसा दिलाया कि सूबे में एकाध हफ्ते के भीतर डीएपी की कमी दूर कर दी जाएगी.
कोरोना के कारण बढ़ी चुनाव की तारीख
राज्य में लम्बे समय से पंचायत चुनाव टलने पर सिसौदिया ने कहा कि पहले कोविड-19 के प्रकोप और फिर कानूनी अड़चनों के चलते ये चुनाव आगे बढ़े हैं, लेकिन राज्य सरकार जल्द से जल्द ये चुनाव कराने को कटिबद्ध है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की विश्वस्तरीय मार्केटिंग के लिए एक मोबाइल ऐप तैयार कराया है और इन उत्पादों को अमेजन व फ्लिपकार्ट सरीखे ई-कॉमर्स मंचों पर पेश करने में भी स्व-सहायता समूहों की मदद की जाएगी.
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